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२१ वर्ष ६ रथ-यात्रा सभी का तात्पर्य सिर्फ एक सत्ता का जुगाड़..कभी राम के नाम पर..कभी सुरक्षा के नाम पर..कभी जनादेश के नाम से और अब जन चेतना यात्रा के द्वारा..वो कहते हैं ना की ” शेर चाहे जितना बूढ़ा क्यों न हो जाए उसकी भूख कम नहीं होती ” अडवाणी जी को देख लीजिये ८३ की उम्र होने के बाद भी प्रधानमन्त्री पद के लिए भूख कम नहीं हुई..तभी तो रथ पर सवार होकर चल दिए..ये रथ-यात्रा उपज है बीजेपी के अन्दर चल रही प्रधानमंत्री पद की होड़ का..बीते दिनों जब बीजेपी के कुछ नेताओ व कार्यकर्ताओ ने मोदी जी को प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार बताया..तभी अडवाणी जी ने अपने जीवन की छठी रथ-यात्रा करने का संकल्प ले लिया था क्योंकि अडवाणी जी के लिए राजनीति में सक्रिय रहने की सबसे अच्छी टॉनिक तो रथ-यात्रा ही है..भले ही इस रथ-यात्रा को बीजेपी भ्रष्टाचार के प्रति जनता को जागरूक करने की यात्रा कह रही हो लेकिन इस यात्रा का मुख्या मकसद तो ढलती हुई राजनीति को चमकाना और प्रधानमन्त्री पद के लिए प्रबल दावेदारी प्रस्तुत करना है..क्योंकि जब-जब अडवाणी रथ पर सवार हुए है तब-तब बीजेपी भी सत्ता पर काबिज़ हुई है..लेकिन अब जनता को चैतन्य करने के लिए किसी रथ-यात्रा की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जनता सब जानती है कि इस रथ यात्रा का असली मकसद क्या है..इस रथ-यात्रा से बीजेपी “अन्ना फैक्टर” का इस्तेमाल कर के अपनी सत्ता का जुगाड़ करना चाहती है..वर्तमान में तो पूरे देश में “अन्ना की ही आंधी चल रही है” जिसका उदहारण हम सभी ने कल देखा हिसार के उपचुनाव के नतीजों से देखा..बीजेपी भी अन्ना की बहती हुई गंगा में हाथ धो कर अपनी सत्ता का जुगाड़ कर लेना चाहती है.. आने वाले समय में बहुत से राज्यों में चुनाव नज़दीक है और बीजेपी इसका पूरा फायदा इस रथ-यात्रा के द्वारा लेना चाहती है… लेकिन येदुरप्पा की गिरफ़्तारी पर अडवाणी का चुप्पी साधना बीजेपी रुख साफ़ नहीं कर रहा है कि बीजेपी भ्रष्टाचार के साथ है या उसके खिलाफ है..खैर जो भी हो ८३ वर्ष कि उम्र होने के बावजूद प्रधानमंत्री बनने के लिए अडवाणी जी की भूख और उनके जज्बे को सलाम…
*जय हिंद जय भारत*
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